धनतेरस: आखिर क्यों मनाया जाता है? समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली लाने का यह खास दिन

🪔 धनतेरस का महत्व

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस या धनत्रयोदशी कहते हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया है।

🙏 जैन मान्यता

जैन आगम में इसे धन्य तेरस / ध्यान तेरस कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन योग निरोध के लिए चले गए और दीपावली पर निर्वाण प्राप्त किया।

🛍️ खरीदारी की परंपरा

धनतेरस पर बर्तन और धन सम्बन्धी वस्तुएँ खरीदने की परंपरा है। कहते हैं इस दिन खरीदी गई चीज़ों में तेरह गुणा वृद्धि होती है। धनियाँ के बीज भी खरीदे जाते हैं और बाद में बोए जाते हैं।

🥈 चाँदी और पूजा की परंपरा

चाँदी या चाँदी के बर्तन खरीदे जाते हैं। लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ भी इस दिन खरीदी जाती हैं।

🪔 दीप जलाने की प्रथा

धनतेरस की शाम घर के बाहर और आंगन में दीप जलाना शुभ माना जाता है। विशेषकर दक्षिण दिशा की ओर दीप रखना यम देवता की कृपा के लिए किया जाता है।

यम देवता की मान्यता

लोक कथा के अनुसार, यम के नाम पर दीप जलाने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इस दिन यम देवता के नाम पर व्रत भी रखा जाता है

🌸 धन्वंतरी और माँ लक्ष्मी की पूजा

धन्वंतरी देवता चिकित्सा के देवता हैं। समुद्र मंथन के समय उनका और माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धनतेरस पर धन्वंतरी और लक्ष्मी की पूजा की जाती है।