पिता जी का सपना – एक छोटी छत अपनी हो
पिता जी का सपना – एक छोटी छत अपनी हो
सुमित बचपन से किराए के घरों में पला-बढ़ा।
सुमित बचपन से किराए के घरों में पला-बढ़ा।
हर साल मकान बदलते, पापा की आंखों में एक सपना होता।
हर साल मकान बदलते, पापा की आंखों में एक सपना होता।
पापा कहते – "अपने नाम की छत होनी चाहिए बेटा…"
पापा कहते – "अपने नाम की छत होनी चाहिए बेटा…"
सुमित ने नौकरी लगते ही घर खरीदने का ठान लिया।
सुमित ने नौकरी लगते ही घर खरीदने का ठान लिया।
लेकिन दिल्ली में घर खरीदना आसान नहीं था – धोखाधड़ी हर मोड़ पर थी।
लेकिन दिल्ली में घर खरीदना आसान नहीं था – धोखाधड़ी हर मोड़ पर थी।
फिर मिला Guru Mahadev Real Estate, जहाँ उसे मिला भरोसा और गाइडेंस।
फिर मिला Guru Mahadev Real Estate, जहाँ उसे मिला भरोसा और गाइडेंस।
90% लोन और साफ़ डॉक्युमेंट्स के साथ मिला अपना घर।
90% लोन और साफ़ डॉक्युमेंट्स के साथ मिला अपना घर।
जब सुमित पापा को चाबी दी, वो रो पड़े –
"अब चैन से सांस लूंगा बेटा..."
जब सुमित पापा को चाबी दी, वो रो पड़े –
"अब चैन से सांस लूंगा बेटा..."
ये सिर्फ एक घर नहीं था –
एक पिता का अधूरा सपना था, जो अब पूरा हुआ।
ये सिर्फ एक घर नहीं था –
एक पिता का अधूरा सपना था, जो अब पूरा हुआ।