Choti Diwali 2025: जानिए क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली, भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है इसकी कथा

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली कहा जाता है।

पूजा और महत्व

इस दिन काली माता, हनुमान जी और यमराज जी की पूजा का विधान है। छोटी दिवाली को मनाने के पीछे की कहानी भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है।

पौराणिक कथा – नरकासुर का संहार

इंद्रदेव भगवान कृष्ण के पास संसार की रक्षा की प्रार्थना लेकर आते हैं। भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर राक्षस का संहार करने गरुड़ पर सवार होकर जाते हैं।

16100 कन्याओं की मुक्ति

नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा ने 16100 कन्याओं को मुक्त कराया। इन्हें समाज ने अपनाने से मना किया, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया।

क्यों कहा जाता है नरक चतुर्दशी

भौमासुर को नरकासुर कहा जाता था। चतुर्दशी तिथि पर भगवान कृष्ण ने उसका वध किया। इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।

दीपावली से जुड़ाव

दीपावली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली मनाई जाती है। छोटी दिवाली दीपावली से एक दिन पहले आती है और इसकी पूजा की परंपरा इसी पौराणिक कथा से जुड़ी है।

कथा का सार

भौमासुर / नरकासुर नामक राक्षस ने कई कन्याओं का हरण किया। उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों संभव थी। भगवान कृष्ण और सत्यभामा ने नरकासुर का संहार कर तीनों लोकों को उसका अत्याचार से मुक्ति दिलाई।

छोटी दिवाली आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए। श्री कृष्ण की कथा से प्रेरणा लेकर अपने घर में प्रकाश और सकारात्मकता फैलाएं।