होली का त्यौहार कब है ! 14 मार्च या 15 मार्च। पूजा की विधि तरीका और कैसे अपने आप को सुरक्षित रखे !

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होली का त्यौहार कब है ! 14 मार्च या 15 मार्च। पूजा की विधि तरीका और कैसे अपने आप को सुरक्षित रखे !

होली, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, भारत में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम, और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। आइए जानते हैं होली 2025 की तिथियां, पूजन विधि, प्राकृतिक रंगों का उपयोग, और सुरक्षा सावधानियों के बारे में।

holi celebration

होली 2025 की तिथि और पूजन का समय

वर्ष 2025 में होली का पर्व 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा। 13 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात को होगा।

वर्ष 2025 में होली का पर्व 13 और 14 मार्च को मनाया जाएगा। 13 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात को होगा। इसके अगले दिन, 14 मार्च को रंगवाली होली खेली जाएगी, जहां लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं

holi celebration with colors

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन की पूजा करते समय निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

  1. स्थान चयन: एक साफ-सुथरी जगह पर होलिका दहन के लिए लकड़ियों का ढेर बनाएं।
  2. पूजन सामग्री: रोली, मौली, अक्षत (चावल), फूल, नारियल, गुड़, हल्दी, कुमकुम, और नई फसल के अनाज जैसे गेहूं की बालियां या चने।
  3. पूजा विधि:
    • लकड़ियों के ढेर के पास एक चौकी पर रोली और अक्षत से स्वस्तिक बनाएं।
    • होलिका को रोली, मौली, और फूल चढ़ाएं।
    • नारियल को होलिका के पास रखें।
    • नई फसल के अनाज को होलिका में अर्पित करें।
    • परिवार के सभी सदस्य होलिका की परिक्रमा करते हुए अपनी सुख-समृद्धि की कामना करें।
  4. होलिका दहन: शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन करें और “ॐ होलिकायै नमः” मंत्र का जाप करें।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग

होली के दौरान उपयोग होने वाले रासायनिक रंग त्वचा और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होता है। प्राकृतिक रंग बनाने के कुछ सरल तरीके निम्नलिखित हैं:

  • पीला रंग: बेसन या हल्दी पाउडर का उपयोग करें।
  • लाल रंग: चुकंदर के रस को आटे में मिलाकर सुखाएं।
  • हरा रंग: मेहंदी पाउडर या पिसे हुए पालक के पत्तों का उपयोग करें।
  • नीला रंग: नील के फूलों का पाउडर बनाएं।

इन प्राकृतिक रंगों का उपयोग त्वचा के लिए सुरक्षित होता है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता।

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सुरक्षा सावधानियां

होली खेलते समय निम्नलिखित सुरक्षा सावधानियों का पालन करें:

  1. त्वचा और बालों की सुरक्षा: होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल या सरसों का तेल लगाएं। बालों में तेल लगाकर उन्हें बांध लें, जिससे रंग आसानी से निकल जाएं।
  2. आंखों की सुरक्षा: आंखों में रंग जाने से बचने के लिए सनग्लासेस पहनें।
  3. पानी की बचत: सूखी होली खेलने का प्रयास करें और पानी की बर्बादी से बचें।
  4. सुरक्षित रंगों का चयन: प्राकृतिक और हर्बल रंगों का ही उपयोग करें। रासायनिक रंगों से बचें, क्योंकि वे त्वचा और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
  5. बच्चों की सुरक्षा: बच्चों को सुरक्षित रंगों से ही खेलने दें और उनकी निगरानी करें।
  6. पर्यावरण की सुरक्षा: प्लास्टिक की थैलियों और गुब्बारों का उपयोग न करें, क्योंकि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
  7. स्वास्थ्य का ध्यान: होली के दौरान तले हुए और भारी भोजन से बचें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और हल्का भोजन करें।
  8. अनुचित व्यवहार से बचें: होली के उत्सव में मर्यादा का पालन करें और किसी के साथ जबरदस्ती न करें।

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